न लोहा-न सीमेंट, जानिए नागर शैली की खासियत जिससे होगा राम मंदिर निर्माण
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना है. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है. इसी बीच राम मंदिर के डिजाइन को लेकर यही चर्चा है कि मंदिर किस तकनीक से बनेगा

दरअसल, 1989 में ही राममंदिर के लिए डिजाइन तैयार किया गया था. राममंदिर का डिजाइन तैयार करने वाले शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर कैसे बनेगा. यह मंदिर प्रसिद्द नागर शैली के आधार पर बनेगा. उन्होंने यह भी बताया कि इस तकनीक से मंदिर बनने में लगभग कितना समय लगेगा.

क्या है नागर शैली
दरअसल, मंदिर का नक्शा उत्तर भारत की नागर शैली पर बनाया गया है. नागर शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है. वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है.


नागर शैली की दो बड़ी विशेषताएं हैं इसकी विशिष्ट योजना और विमान. इसकी मुख्य भूमि आयताकार होती है जिसमें बीच के दोनों ओर क्रमिक विमान होते हैं जिनके चलते इसका पूर्ण आकार तिकोना हो जाता है.

मंदिर के सबसे ऊपर शिखर होता है, जिसे रेखा शिखर भी कहते हैं. मंदिर में दो भवन भी होते हैं, एक गर्भगृह और दूसरा मंडप. गर्भगृह ऊंचा होता है और मंडप छोटा होता है. गर्भगृह के ऊपर एक घंटाकार संरचना होती है जिससे मंदिर की ऊंचाई बढ़ जाती है.

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