बुधवार, 13 मई 2020

20 लाख करोड़ मे हमारा हिस्सा

देश में कोरोना की महामारी का प्रकोप जो छाया हुआ है
उसकी आप से चर्चा लगातार होती रहती है, आज बात कोरोना से मिली तंगी पर नही करेंगे, बात तो मोदी सरकार ने जो ऐलान किया है कि GDP का लगभग 10% कोरोना राहत के लिए लगायेंगे!

मोदी सरकार ने देश की जनता (मजदूरों) को लगातार बैक फुट पर रखा, ये हम नही कोरोना महामारी से पहले आई बेरोजगारों की रिपोर्ट बता रही हैं कि देश में पिछले 45 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी है, अब कोरोना आ गया है तो आपको इसके दुरगामी परिणाम दिख जायेंगे|
बात उन मजदूरों की कर रहे हैं जिनका रजिस्ट्रेशन हो रखा है जिनको PF, DA मिल रहे थे उनका आकंडा दे रहा हूं, ना की आप और हम ध्याडी मजदूरों की उनकी मौजूदा स्थिति है कि 100 से 27 के पास से जाॅब चली गई। बात हमारी करे तो  स्थिति आपके सामने है।

इन सभी को देखते हुए देश के चोकीदार (मोदी जी), चोकीकारी करने देश लाॅकडाऊन में तीसरी बार रूबरू हुए और "भोली जनता हुंसार राजा का" खेल खेलते हुुए 20 लाख करोड़ (200000000000000) का पासा फेंका और बोला गया की आपको GDP का 10% दिया जायेेगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस का प्रकोप शुरु होने के बाद से अपने पांचवें राष्ट्र के नाम संबोधन में मंगलवार को कहा ऐलान किया कि उनकी सरकार आत्म निर्भर भारत अभियान के नाम से 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज लेकर आ रही है। इस पैकेज से देश की अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई होगी, गरीबों, मजदूरों, मध्यम वर्ग, किसानों, छोटे और मझोले उद्योगों और टैक्स पेयर्स यानी कर दाताओं को मदद दी जाएगी। अपने भाषण के दौरान पीएम याद दिलाया कि पैकेज री रकम देश की जीडीपी के करीब 10 फीसदी के आसपास है। 2019-20 में देश की जीडीपी का आकार करीब 200 लाख करोड़ का था।

पीएम ने लोकल उत्पाद खरीदने की अपील की और साथ ही लोकल उत्पादों के प्रचार का भी आह्वान किया। उन्होंने बताया कि पैकेज में क्या-क्या होगा इस बारे में देश की वित्त मंत्री आने वाले दिनों में विस्तार से बताएंगी।

यह तो रही एक बात। लेकिन लोगों में इस बात को लेकर जिज्ञासा है और मन में सवाल की आखिर इस पैकेज में होगा क्या? पीएम ने तो साफ कह दिया कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए,इस पैकेज में भूमि, श्रम, नकदी और कानून सभी पर बल दिया गया है। यानी सिर्फ नकदी नहीं होगी, कुछ भूमि होगी, कुछ कानून होंगे और कुछ नकदी होगी।

तो फिर आखिर इस नए पैकेज में है क्या?
हालांकि पीएम ने सबकुछ तो नहीं बताया लेकिन इतना जरूर कह दिया कि “हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे, और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है।” इसका सीधा सा अर्थ है कि पीएम ने जिस 20 लाख करोड़ के पैकेज की बात की है, वह इतनी रकम का नहीं होगा, बल्कि इससे करीब 25-30 फीसदी कम होगा।

वह कैसे?
वह ऐसे कि पीएम ने साफ कहा कि आरबीआई जो भी वित्तीय फैसले ले चुका है वह भी इस पैकेज का हिस्सा होंगे। यहां ध्यान देना होगा कि रिजर्व बैंक सिर्फ मौद्रिक नीति का फैसला लेता है और वित्तीय नीति का फैसला पूरी तरह सरकार का होता है, ऐसे में रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक व्यवस्था के लिए घोषित उपायों को पैकेज का हिस्सा बनाना चौंकाता है।

अर्थशास्त्री और विशेषज्ञों का साफ कहना है कि सरकार के खर्च और वित्तीय फैसले और आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम न तो कभी एक जैसे होते हैं और न ही इस तरह कभी एक दूसरे से जोड़े गए हैं।

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अमेरिका ने कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए 3 खरब डॉलर यानी 225 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। यह वह पैसा है जो अमेरिकी सरकार खर्च करेगी और इसमें अमेरिका के फेडरल रिजर्व के उपायों का कोई लेना-देना नहीं है।

इसका सीधा अर्थ है कि जिस 20 लाख करोड़ का जो राग देश के सामने प्रधानमंत्री ने रखा वह दरअसल 20 लाख करोड़ का तो नहीं होगा। तो फिर कितना होगा। इसे समझने के लिए कोरोना वायरस का संकट शुरु होने के बाद से रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों या उपायों को जानना जरूरी है। मोटे अनुमान के मुताबिक रिजर्व बैंक अब तक 5 से 6 लाख करोड़ रुपए के उपाय कर चुका है। इसके अलावा सरकार ने भी 26 मार्च को एक राहत पैकेज का ऐलान किया था जिसे 1.70 लाख करोड़ का बताया गया था। उन दोनों को मिला लें तो करीब 8 लाख करोड़ या 20 लाख करोड़ के करीब 40 फीसदी का ऐलान तो पहले ही हो चुका है। इस तरह अब बचते हैं सिर्फ 12 लाख करोड़।

और अगर सरकार ने आरबीआई के मौद्रिक तरलता यानी लिक्विडिटी उपायों को भी शामिल कर लिया तो सरकार की तरफ से खर्च होने वाला पैसा 12 लाख करोड़ से भ कम हो सकता है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि आरबीआई ने हाल ही में लांग टर्म बांड की बात की, यानी करीब एक लाख करोड़ रुपए के लांग टर्म रेपो ऑपरेशन -एलटीआरओ की बात की थी जिससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता आएगा। आरबीआई इसी तरह के एक लाख करोडे के एक और एलटीआरओ की बात कर रहा है।

आरबीआई के उपायों को क्यों नहीं माने पैकेज का हिस्सा?
तो एक सवाल यह भी बनता है कि आखिर आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों या उपायों को ओवरऑल आर्थिक पैकेज का हिस्सा क्यों नहीं माना जाना चाहिए?

इस जवाब है कि सरकार द्वारा सीधे खर्च को, वह दिहाड़ी या वेतन की सब्सिडी के रूप में हो या डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर हो या किसी अस्पताल या सड़क या फैक्टरी जैसे किसी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में लगे निर्माण मजदूरों को वेतन देने का खर्च हो, उससे अर्थव्यवस्था में गति आती है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह पैसा किसी न किसी रूप में लोगों तक पहुंचता है या तो वेतन के रूप में या फिर उसके द्वारा खरीदारी करने पर।

लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा कर्ज की शर्तों में नर्मी करना, यानी बैंकों को अधिक पैसा उपलब्ध कराना, ताकि वे अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने के लिए कर्ज दे सकें, उसे सरकारी खर्च नहीं माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि संकट के समय में बैंक आरबीआई या किसी अन्य स्त्रोत से पैसे लेते हैं, और इसे कर्ज में देने के बजाय आरबीआई के पास रख देते हैं। इस समय भी ऐसा ही हो रहा है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि बैंकों ने रिजर्व बैंक के पास 8 लाख करोड़ रुपए रखे हुए हैं। इस तरह अगर सही मायनों में देखें तो रिजर्व बैंक ने राहत तो 6 लाख करोड़ की दी, लेकिन बदले में उसके पास 8 लाख करोड़ रुपए आ गए।

इस तरह आरबीआई और बैंकों के बीच तो पैसा तो इधर उधर हो रहा है, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाने के लिए खर्च नहीं किया जा रहा। ऐसे में सरकार के आर्थिक पैकेज का करीब आधा हिस्सा तो पहले ही सामने आ चुका है। अब सारी नजरें वित्त मंत्रालय पर हैं कि वह इस पैकेज का क्या खाका देश के सामने रखता है, और इससे किसे और कितनी और किस तरह की राहत मिलती है।

रविवार, 10 मई 2020

भारत चीन के सैनिक आपस में भिड़ गए


भारत-चीन सीमा से लगने वाले सिक्किम सेक्टर के नाकू ला के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच तीखी झड़प हो गई. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस घटना में दोनों तरफ के कई सैनिकों को मामूली चोटें भी आई हैं. उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर बातचीत के बाद सैनिक अलग हो गए.


बातचीत के बाद मसला सुलझा लिया गया


खबरों के मुताबिक, दोनों ही तरफ के लगभग आधा दर्जन सैनिक घायल हुए हैं. हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है. सूत्रों के मुताबिक बातचीत के बाद मसला सुलझा लिया गया है. एक सूत्र ने बताया, “सैनिक निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुरूप परस्पर समझ से ऐसे मामलों को सुलझा लेते हैं. इस तरह की घटना काफी समय बाद हुई है.”

पहले भी कई बार हो चुकी है दोनों देशों के सैनिकोंं में झड़प

बता दें कि बीते साल भी भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प की खबर सामने आई थी. लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारतीय और चीनी सैनिकों में पेट्रोलिंग को लेकर टकराव हुआ था. दोनों के बीच धक्कामुक्की भी हुई थी जिसके चलते 'फेसऑफ' की स्थिति बन गई. बाद में दोनों देशों के ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत के बाद मामला सुलझा.



मालूम हो कि साल 2017 में इसी जगह के आसपास भारतीय और चीनी सैनिकों में जमकर मारपीट हुई थी. पेट्रोलिंग के दौरान भारतीय जवानों का सामना चीन के पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के सैनिकों से हुआ. इसी दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच बहस के बाद धक्का मुक्की शुरू हो गई 

पढ़ें आज की ताज़ा खबरें  देश के सबसे विश्वसनीय न्यूज़ चैनल hirawatiwale न्यूज़ पर - जो देश को रखे आगे

शनिवार, 9 मई 2020

मजदूर की बात जिंदगी के साथ

लगातार बढ़ रहे lockdown में गरीबो का सब्र ने भी अब उबाल मार लिया।
देश में lockdown starting के समय मजदूरों ने पलायन घरों की ओर किया और पैदल ही चल पडे 1200-1300km के सफर पर कहीयो ने जिंदगी को अलविदा कह दिया, तो कहीयो ने जिंदगी को डॉक्टर के हवाले कर दी।

लोकडाउन लगाना क्यों पड़ा?
जब से covid19 नाम की बीमारी से जानकारी हुई है तब से दुनिया में खोफ का माहौल बन गया है लोगों को फिर से लगने लगा है कि जिंदगी की कीमत पैसौ से नहीं आंकी जा सकती है, चीन से covid19 का संक्रमण शुरू होने के बाद ये बीमारी दुनिया के हर कोने में पहुंच गई। फिर हर देश के राज नायको को अपनी जनता के लिए फिक्रमंद होना पड़ा और लोगों को जनता कर्फ्यू के साथ ही लोकडाउन कर दिया गया।

Lockdown की अवधि 
मोदी सरकार ने जनता कर्फ्यू के बारे में जानकारी देते ही कुछ राज्य सरकारों ने लोकडाउन का फरमान जारी कर दिया। फिर मोदी सरकार ने 24 मार्च को देश व्यापी लोकडाउन का ऐलान करते हुए 21 दिन का लोकडाउन लगा दीया।
लोकडाउन 14 अप्रैल को खत्म होने वाला था कि देश के प्रधानमंत्री ने लोकडाउन को 3 मई तक बढाते हुए lockdown 2.0  का ऐलान कर दिया।
लोकडाउन की अवधि खत्म होने कि कगार पर पहुंचती, उससे पहले ही 1 मई को केन्द्र सरकार ने लोकडाउन के तीसरे चरण का ऐलान करते हुए lockdown 3.0 को 17 मई तक बडा़ दिया............

Lockdown की धज्जियां क्यों उड़ाई ?
लोकडाउन के 1st चरण में लोकडाउन कि धज्जियो कि खबर दिल्ली से ज्यादा आई पहले 2-3 दिन मजदूरों की घर वापसी के लिए सडकों पर आना।
फिर तबलिकी जमात   द्वारा आयोजित कार्यक्रम के द््वारा लोकडाउन की धज्जियाँ उड़ना शुरुआती कदम थे lockdown  धजिया  के। 
फिर देश के अलग अलग जगह से lockdown की बढती अवधि के साथ मजदूरों ने अपने गावों के रास्ते खोजने तैयार कर लिये। जब मजदूरों को सडकों से नहीं आने दिया तो रेल की पटरी का सहारा लेना पड़ा। 

➡️फिर राज नायको ने सबसे बड़ा फैसला लिया हमारी जिंदगी से खेलने का फैसला। 
लोकडाउन के सारे नियम फैल करके शराब के ठेके खोलने के आदेश दिया और 70%टैक्स बड़ा कर राज्य सरकारें कमाई करने लग  गई।
👉1.क्या शराब के ठेके पर संक्रमित होने का खतरा नही है ?
👉2.क्या शराब पीने से कोरोना नही होता?
👉3.क्या राज्य सरकारों के पास कमाई का एक मात्र स्रोत शराब है?
इन सवालों के जवाब देने से पहले आपको बताते चलें कि राज्य सरकारों ने बार्डर को सील करना वापिस शुरू कर दिया।


शनिवार, 2 मई 2020

Collage 1st year और 2nd year students के

UGC के बाद AICTE ने जारी किया कैलेंडर, कॉलेजों को दिए 7 निर्देश

ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ने भी संबद्ध कॉलेजों के लिए नया कैलेंडर जारी कर दिया है। साथ ही कॉलेजों को 7 अहम दिशानिर्देश भी दिए गए हैं।

यूजीसी (UGC) के बाद अब ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ने भी नये शैक्षणिक सत्र के लिए कैलेंडर जारी कर दिया है। साथ ही संबद्ध कॉलेजों / संस्थानों को 7 जरूरी दिशानिर्देश भी दिए गए हैं।
इस संबंध में एआईसीटीई ने नोटिस जारी कर दिया है। इसमें लिखा है कि बताए गए दिशानिर्देशों का पालन न करने पर संबंधित संस्थान के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
ऐसा है AICTE का कैलेंडर
अभी जो स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं, उनके नये सत्र के क्लासेस शुरू होने की तारीख – 1 जुलाई 2020
रिफंड के साथ सीट रद्द करने की अंतिम तारीख – 25 जुलाई 2020
विभिन्न कोर्सेज में एडमिशन की अंतिम तारीख – 31 जुलाई 2020
नये स्टूडेंट्स के लिए नये सत्र की क्लासेस की शुरुआत – 1 अगस्त 2020 से
ओपन / डिस्टेंस लर्निंग कोर्सेज में एडमिशन की अंतिम तारीख – 15 अगस्त 2020 और 15 फरवरी 2021
ये भी पढ़ें : UGC ने दिए हैं ये 8 निर्देश, जानें आपको क्या फायदे
ये हैं 7 अहम दिशानिर्देश
1. शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए कोई भी संस्थान एडमिशन या अन्य फीस नहीं बढ़ाएगा।
2. संस्थान चाहें तो एआईसीटीई के बताए कैलेंडर के अनुसार ऑनलाइन मोड पर क्लासेस शुरू कर सकते हैं। बाद में हालात सामान्य होने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) द्वारा नोटिफिकेशन जारी होने के बाद फेस टू फेस क्लासेस पर शिफ्ट हो सकते हैं।




3. अगर 2019-20 सत्र के फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स की परीक्षाएं लॉकडाउन से पहले नहीं ली गई हैं, तो 29 अप्रैल 2020 को यूजीसी द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार उन्हें आगे प्रमोट किया जा सकता है।
4. लॉकडाउन के कारण कई संस्थान / विवि यूजी कोर्सेज के फाइनल एग्जाम नहीं करा पाए हैं। ऐसे संस्थानों के स्टूडेंट्स को भी प्रोविजनल एडमिशन दिया जा सकता है। हालांकि ऐसे स्टूडेंट्स को 31 दिसंबर 2020 तक ग्रेजुएशन पूरा होने का प्रमाण देना होगा।
5. रेड जोन (Red Zone) में या कोरोना वायरस हॉटस्पॉट्स (Coronavirus hotspots) के नजदीक स्थित संस्थान हालात का ध्यान रखते हुए नया शैक्षणिक सत्र शुरू कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें : CUCET 2020: एक एग्जाम से 18 यूनिवर्सिटीज में एडमिशन का मौका, देखें लिस्ट
6. संस्थानों को सभी स्टूडेंट्स और स्टाफ की कोरोना वायरस से सुरक्षा का ख्याल रखना है। इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाने होंगे।
7. सभी संस्थानों से काउंसिल की अपील है कि कोविड-19 से लड़ने और प्रभावित परिवारों की मदद करने में आगे आएं।
नोट – ये कैलेंडर व दिशानिर्देश फिलहाल एआईसीटीई से संबद्ध प्रबंधन संस्थानों के लिए जारी हुए हैं। कैलेंडर पीजीडीएम व पीजीसीएम (PGDM / PGCM) कोर्सेज पर लागू होगा।

आवास

य योजना है प्रधानमंत्री आवास योजना। इसे PMAY के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना का मुख्‍य आकर्षण इससे मिलने वाली सब्सिडी है। योजना के अंतर्...